Method of making clay Ganesh idol, मंगलवार, 19 सितंबर से दस दिवसीय गणेश उत्सव शुरू हो रहा है। ये पर्व 28 सितंबर तक रहेगा। गणेश चतुर्थी पर अपने घर में प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्तियां स्थापित करने से बचना चाहिए, क्योंकि ये मूर्तियां पर्यावरण के नजरिए से सही नहीं हैं। गणेश उत्सव के अंतिम दिन प्रतिमा को नदी, तालाब या किसी अन्य जल स्रोत में विसर्जित किया जाता है, अगर मूर्ति पीओपी की होगी तो वह पानी में गलेगी नहीं और पानी को दूषित करेगी। मिट्टी से बनी मूर्ति थोड़ी ही देर में गल जाती है, ये मूर्ति अपने घर में ही विसर्जित कर सकते हैं, ताकि नदी, तालाब स्वच्छ रहें।
इस साल मंगलवार से गणेश उत्सव शुरू हो रहा है। गणेश जी को मंगलमूर्ति कहा जाता है, इस कारण मंगलवार और गणेश चतुर्थी का योग बहुत ही शुभ रहेगा। इस दिन रवि योग, स्वाती और विशाखा नक्षत्र भी रहेगा। ये पूजा-पाठ के नजरिए से श्रेष्ठ योग रहेगा। शास्त्रों में मिट्टी से बनी प्रतिमा की पूजा को श्रेष्ठ बताया गया है। मिट्टी से बनी प्रतिमा में पंच तत्व समाए हुए रहते हैं। मिट्टी यानी पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश, इन पांचों तत्वों से प्रतिमा बनती है।
गणेश प्रतिमा बनाने के लिए कैसी मिट्टी का करें उपयोग
प्रतिमा बनाने के लिए किसी नदी या तालाब या किसी अन्य साफ-सुथरी जगह की मिट्टी का उपयोग करना चाहिए। ध्यान रखें मिट्टी में कंकड़-पत्थर, पेड़-पौधे की जड़ें या घास नहीं होनी चाहिए।
ये है मिट्टी से गणेश प्रतिमा बनाने की सरल स्टेप्स
सबसे पहले मिट्टी में पानी डालकर उसे गिला कर लें। गिली मिट्टी से 5 समान आकार के गोले बनाएं।
एक गोले से गणेश जी के लिए आसन बनाना है। आसन का आकार अपनी इच्छा अनुसार गोल या चौकोर बना सकते हैं।
दूसरे गोले से गणेश जी का पेट बनाएं और इसे आसन पर विराजित करें।
तीसरे गोले को दो समान भागों में बांटें। इन दो भागों में से एक भाग से गणेश जी के दो पैर और दूसरे भाग से दो हाथ बनाएं।
मिट्टी के चौथे गोले से गणेश जी का सिर और सूंड बनाएं। गणेश जी के पेट के ऊपर सिर और सूंड लगाएं।
मिट्टी के पांचवें गोले से गणेश जी के कान, लड्डू, दांत, आंखें और मुकुट बनाना है। इन सभी हिस्सों को जोड़कर प्रतिमा तैयार करें।
प्रतिमा बन जाने के बाद घर में ऐसी जगह जहां धूप आती हो, वहां रख दें। जब मूर्ति सूख जाए तो मनचाहे रंगों से इसकी सजावट की जा सकती है।