THE RAJASTHAN APARTMENT OWNERSHIP ACT, 2015 PDF

राजस्थान अपार्टमेंट स्वामित्व अधिनियम, 2015: अपार्टमेंट मालिकों के अधिकारों की रक्षा

राजस्थान में बहुमंजिला इमारतों का निर्माण तेजी से बढ़ रहा है।  ऐसे में अपार्टमेंट में रहने वाले लोगों के अधिकारों और दायित्वों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करने के लिए राजस्थान अपार्टमेंट स्वामित्व अधिनियम, 2015 (The Rajasthan Apartment Ownership Act, 2015) लाया गया हैं।  यह अधिनियम अपार्टमेंट मालिकों को उनके स्वामित्व और रहने के अधिकारों की रक्षा करता है। 

यह लेख राजस्थान अपार्टमेंट स्वामित्व अधिनियम, 2015 के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करता है, जिसमें इसके दायरे, अपार्टमेंट के स्वामित्व से जुड़े अधिकार, सामान्य क्षेत्रों और सुविधाओं में साझा हित, अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन (Apartment Owners Association) का गठन और कार्यप्रणाली, विवादों का निपटारा आदि विषय शामिल हैं । 

अधिनियम का दायरा (Scope of the Act)

यह अधिनियम उन अपार्टमेंट पर लागू होता है जो:

  • स्वामित्व वाली जमीन (Freehold Land) पर बने भवनों में स्थित हों। 
  • पट्टे पर ली गई जमीन (Leasehold Land) पर बने भवनों में स्थित हों, जहाँ लीज की अवधि कम से कम 30 वर्ष या उससे अधिक हो। 

यह अधिनियम वाणिज्यिक और आवासीय दोनों प्रकार के अपार्टमेंट पर लागू होता है.

अपार्टमेंट के स्वामित्व से जुड़े अधिकार (Rights Associated with Apartment Ownership)

यह अधिनियम अपार्टमेंट मालिकों को निम्नलिखित अधिकार प्रदान करता है:

  • व्यक्तिगत स्वामित्व (Individual Ownership): अधिनियम के तहत, प्रत्येक अपार्टमेंट मालिक को अपने खरीदे गए अपार्टमेंट का विशेष स्वामित्व प्राप्त होता है। 
  • अविभाज्य हित (Undivided Interest): अपार्टमेंट के अलावा, प्रत्येक मालिक को भवन के सामान्य क्षेत्रों और सुविधाओं जैसे लिफ्ट, सीढ़ियां, Lobbies, पार्किंग क्षेत्र आदि में अविभाज्य हित प्राप्त होता है. इस अविभाज्य हित की गणना पूरे भवन में सभी अपार्टमेंट के निर्मित क्षेत्रफल (Built-up Area) के अनुपात में प्रत्येक अपार्टमेंट के निर्मित क्षेत्रफल के आधार पर की जाती है। 
  • अपार्टमेंट का हस्तांतरण (Transfer of Apartment): मालिक अपने अपार्टमेंट को बेचने, उपहार में देने या किसी अन्य तरीके से हस्तांतरित करने के लिए स्वतंत्र हैं।  इस हस्तांतरण में संबंधित अपार्टमेंट से जुड़ा अविभाज्य हित भी शामिल होता है। 
  • अपार्टमेंट का उत्तराधिकार (Inheritance of Apartment): अपार्टमेंट विरासत में भी मिल सकता है।  उत्तराधिकारी को भी उसी प्रकार से अपार्टमेंट और उससे जुड़े अविभाज्य हित का स्वामित्व प्राप्त होता है। 

सामान्य क्षेत्र और व्यय (Common Areas and Expenses)

यह अधिनियम स्पष्ट करता है कि अपार्टमेंट मालिकों का भवन के सामान्य क्षेत्रों और सुविधाओं पर साझा स्वामित्व है।  प्रत्येक मालिक का इन क्षेत्रों में योगदान उसके अविभाज्य हित के अनुपात में होता है। 

  • सामान्य व्यय (Common Expenses): बिजली का बिल, पानी का बिल, सुरक्षा कर्मचारियों का वेतन, भवन का रखरखाव आदि खर्चों को सभी अपार्टमेंट मालिकों को उनके अविभाज्य हित के अनुपात में वहन करना होता है। 

अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन (Apartment Owners Association)

यह अधिनियम अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन (AOA) के गठन को अनिवार्य बनाता है. AOA का गठन सभी अपार्टमेंट मालिकों का एक संगठन होता है, जो भवन के प्रबंधन और रखरखाव के लिए जिम्मेदार होता है। 

  • गठन (Formation): अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, निर्धारित संख्या में अपार्टमेंट बिक जाने के बाद AOA का गठन किया जाना चाहिए। 
  • कार्य (Functions): AOA के मुख्य कार्य निम्न हैं:
    • भवन के सामान्य क्षेत्रों और सुविधाओं का प्रबंधन और रखरखाव करना। 
    • मासिक रखरखाव शुल्क सहित विभिन्न शुल्कों को निर्धारित और एकत्रित करना। 
    • अपार्टमेंट मालिकों के बीच विवादों को सुलझाने में मदद करना। 
    • भवन के संबंध में कानूनी और अन्य औपचारिकताओं को पूरा करना। 
    • अपार्टमेंट मालिकों को नियमों और विनियमों से अवगत कराना। 
  • प्रबंधन समिति (Managing Committee): AOA एक प्रबंधन समिति का चुनाव करती है जो AOA के दिन-प्रतिदिन के कार्यों का संचालन करती है. प्रबंधन समिति में AOA के सदस्य ही निर्वाचित हो सकते हैं। 

विवादों का निपटारा (Dispute Resolution)

अधिनियम अपार्टमेंट मालिकों के बीच या AOA के बीच किसी भी विवाद के निपटारे के लिए एक तंत्र प्रदान करता है. विवादों को सुलझाने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन किया जा सकता है:

  • Mediation (मध्यस्थता): सबसे पहले यह अपेक्षा की जाती है कि AOA विवादों को सुलझाने के लिए मध्यस्थता का सहारा ले.
  • समक्ष स्तर पर अपील (Appeal to Compitant Authority ): यदि मध्यस्थता विफल हो जाती है, तो कोई भी पक्ष विवाद के निपटारे के लिए समक्ष स्तर पर अपील दायर कर सकता है। 
  • उपभोक्ता अदालत (Consumer Court): कुछ मामलों में, विवाद को उपभोक्ता अदालत में भी ले जाया जा सकता है, खासकर अगर मामला सेवाओं की कमी या अपार्टमेंट निर्माण में खामियों से संबंधित हो। 

निष्कर्ष (Conclusion)

राजस्थान अपार्टमेंट स्वामित्व अधिनियम, 2015 अपार्टमेंट मालिकों के अधिकारों और दायित्वों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करके उनका संरक्षण करता है।  यह अधिनियम भवन के प्रबंधन में पारदर्शिता सुनिश्चित करता है और AOA के माध्यम से अपार्टमेंट मालिकों को निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल करता है। 

यदि आप राजस्थान में एक अपार्टमेंट खरीदने या रहने का विचार कर रहे हैं, तो इस अधिनियम के प्रावधानों को समझना आपके लिए फायदेमंद होगा. यह आपको अपने अधिकारों और दायित्वों के बारे में जानकारी प्रदान करेगा और भविष्य में किसी भी विवाद से बचाव करेगा। 

Disclaimer: यह लेख केवल सामान्य जानकारी प्रदान करता है और इसे कानूनी सलाह नहीं माना जाना चाहिए. किसी भी विशिष्ट मामले पर कानूनी सलाह लेने के लिए हमेशा किसी वकील से संपर्क करें। 

Read Also – The Rajasthan Societies Registration Act, 1958

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