भारत में खेल हमेशा से जुनून, सपनों और गर्व का प्रतीक रहे हैं। चाहे वो ओलंपिक में झंडा लहराते खिलाड़ी हों, या गाँव की गलियों में बैट-बॉल लेकर दौड़ते बच्चे। खेल हमारी आत्मा का हिस्सा हैं। लेकिन वर्षों से एक सच्चाई यह भी रही कि हमारे खेलों की संगठनात्मक व्यवस्था उतनी मजबूत नहीं थी जितनी होनी चाहिए थी।
ऐसे समय में यह कानून National Sports Governance Act 2025 अस्तित्व में आया है। NSGA 2025 के तहत खेल संगठनों के संचालन के लिए एक ठोस कानूनी ढांचा दिया गया है, जिसमें बेहतर शासन (governance), एथिक्स (ethics), खिलाड़ी-कल्याण (athlete welfare), विवाद निपटान (dispute resolution) आदि शामिल हैं।
यह कानून 18 अगस्त 2025 को राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त कर राष्ट्रीय कानून बन गया।
Contents
- 1 National Sports Governance Act 2025 क्यों जरूरी था?
- 2 अहम प्रावधान (Important Provisions of National Sports Governance Act 2025)
- 3 खिलाड़ियों और प्रशासकों के लिए क्या मायने?
- 4 चुनौतियाँ एवं विचार किये जाने योग्य बातें
- 5 भविष्य की दिशा – संभावनाएँ और उम्मीदें
- 6 निष्कर्ष
- 7 National Sports Governance Act 2025 Download PDF
- 8 FAQ’s
- 8.1 राष्ट्रीय खेल प्रशासन अधिनियम 2025 क्या है?
- 8.2 इस कानून की आवश्यकता क्यों पड़ी?
- 8.3 राष्ट्रीय खेल न्यायाधिकरण (NST) क्या है?
- 8.4 इस अधिनियम से खिलाड़ियों को क्या लाभ होगा?
- 8.5 खेल संगठनों पर इस कानून का क्या प्रभाव पड़ेगा?
- 8.6 Safe Sport Policy क्या है?
- 8.7 यह अधिनियम कब लागू हुआ?
- 8.8 क्या यह कानून सभी खेलों पर लागू होता है?
- 8.9 क्या इस अधिनियम से ओलंपिक और अंतरराष्ट्रीय खेल संस्थाओं पर भी असर पड़ेगा?
National Sports Governance Act 2025 क्यों जरूरी था?
खेल-संगठनों में लंबे समय से निम्नलिखित समस्याएँ रही हैं:
- संगठन (फेडरेशन)-प्रशासन में लंबे-लंबे कार्यकाल, पुनरावृत्ति (re-election) और समान नेतृत्व का चलन।
- चुनावों, चयन प्रक्रियाओं में पारदर्शिता-अभाव।
- खिलाड़ियों का कल्याण एवं शिकायत-निपटान का ढांचा कमजोर।
- वित्तीय पारदर्शिता एवं सरकारी निधि-वितरण में नियंत्रण की कमी।
- अंतरराष्ट्रीय खेलशासी (governance) मानदंडों से मेल न खाना।
इनमें सुधार के लिए NSGA 2025 को ‘गेम-चेंजर’ माना गया है।
अहम प्रावधान (Important Provisions of National Sports Governance Act 2025)
नीचे मुख्य प्रावधानों का सार दिया जा रहा है:
मान्यता-प्राधिकरण (Recognition & Regulation)
कानून के तहत एक नया प्राधिकरण बनेगा: National Sports Board (NSB) जिसे खेल मंत्रालय द्वारा स्थापित किया जाएगा। इसके का कार्य राष्ट्रीय खेल फेडरेशन (NSFs) को मान्यता देना/रद्द करना, उनके कार्य-प्रणाली पर निगरानी रखना हैं। संघ/फेडरेशन को सरकारी फंडिंग, विभिन्न सुविधाएँ तभी मिलेंगी जब उन्हें NSB द्वारा मान्यता प्राप्त होगी।
संगठन-गठन एवं निर्वाचन (Structure & Elections)
- प्रत्येक recognised खेल संगठन की कार्यकारिणी (Executive Committee) में 15 सदस्य तक होंगे । इसमें कम-से-कम दो ‘उत्कृष्ट खिलाड़ी’ (sportspersons of outstanding merit), दो खिलाड़ी प्रतिनिधि (athlete representatives) और चार महिलाएँ (women members) शामिल होंगी।
- पदाधिकारियों की उम्र-सीमा एवं कार्यकाल तय किया गया है। उदाहरणस्वरूप, 70 वर्ष आयु सीमा, कुछ मामलों में 75 वर्ष तक बढ़ सकती है अगर अंतरराष्ट्रीय नियम ऐसा कहें।
- चुनाव निष्पक्ष कराने के लिए National Sports Election Panel (NSEP) बनाया जाएगा जो चुनाव-प्रक्रिया देखेगा।
विवाद-निपटान व्यवस्था (Dispute Resolution)
- एक विशेष न्यायाधिकरण – National Sports Tribunal (NST) बनेगा, जिसमें प्रमुख न्यायाधीश या उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश होंगे, साथ में खेल, प्रशासन या क़ानून क्षेत्र के विशेषज्ञ होंगे।
- यह ट्रिब्यूनल उन मामलों को देखेगा जैसे चयन विवाद, चुनाव विवाद, खेल संगठन के आचरण-विरोधी मामलों आदि। लेकिन कुछ मामलों पर इसका अधिकार नहीं होगा जैसे अंतरराष्ट्रीय खेल-प्राधिकरणों की घटना, चयन-विवाद जो अंतरराष्ट्रीय संघों के अंतर्गत हों।
- इस तरह निर्णय जल्द होने की उम्मीद है ताकि खिलाड़ी लंबी कानूनी तकरारों में न फँसे।
एथिक्स, सुरक्षित खेल (Ethics & Safe Sport)
- संघ-फेडरेशन को एथिक्स कमिटी (Ethics Committee), विवाद-समाधान कमिटी (Dispute Resolution Committee), तथा एथलीट कमिटी (Athletes Committee) बनानी होगी।
महिला खिलाड़ियों और युवा एथलीटों की सुरक्षा पर अब विशेष ध्यान दिया गया है। हर संगठन को “Safe Sport Policy” लागू करनी होगी। जिसके तहत उत्पीड़न-रोधी समितियाँ, मानसिक स्वास्थ्य सहायता और शिकायत निवारण प्रणाली अनिवार्य होगी। जिसमें महिला खिलाड़ियों, नाबालिगों व कम-सशक्त खिलाड़ियों की सुरक्षा, उत्पीड़न-रोधी उपाय आदि शामिल हैं।
पारदर्शिता एवं जवाबदेही (Transparency & Accountability)
- मान्यता प्राप्त संगठन जिन्हें सरकारी फंडिंग मिलती है, उन्हें Right to Information Act, 2005 (RTI) के अंतर्गत “सार्वजनिक प्राधिकार” (public authority) माना जा सकता है।
- उन खेल-संगठनों के लेखे-जोखे (accounts) को Comptroller and Auditor General of India (CAG) द्वारा ऑडिट कराया जाएगा।
- ऐसी स्थिति बनाए रखना कि सरकार द्वारा दिए गए फंड का उपयोग उचित हो तथा खेल संगठन अपनी कार्य-प्रणाली में पारदर्शी हों। यानि जनता और खिलाड़ी यह जान सकेंगे कि सरकारी फंड कहाँ और कैसे खर्च हो रहा है।
खिलाड़ियों और प्रशासकों के लिए क्या मायने?

खिलाड़ियों के लिए
- खिलाड़ियों को सुनिश्चित-व्यवस्था मिलेगी: चयन-चुनाव विवादों में उन्हें बेहतर प्लेटफॉर्म मिलेगा (NST)।
- उनकी राय और प्रतिनिधित्व बड़े स्तर पर शामिल होगी। मतलब, सिर्फ नाम में नहीं, वाकई निर्णय प्रक्रिया में हाथ।
- सुरक्षित खेल-परिस्थितियाँ बेहतर होंगी: उत्पीड़न-रोधी नीतियाँ संस्थागत होंगी।
- फेडरेशन-कार्य में अधिक जवाबदेही होंगी। खिलाड़ी को बेहतर माहौल और अवसर मिलने की संभावना।
प्रशासकों, फेडरेशन के लिए
- अब उदासीनता या लापरवाही से काम नहीं चलेगा—कार्यकारिणी, आचरण, चुनाव-नियम आदि सख्त होंगे।
- संसाधन (सरकारी सहायता, मान्यता) उसी फेडरेशन को मिलेगा जो नियम-अनुरूप (compliant) होगा।
- ईमानदारी, पारदर्शिता और बेहतर शासन मॉडल अपनाना होगा नहीं तो मान्यता रद्द होने का जोखिम।
- उम्र-सीमा व कार्यकाल-सीमा की वजह से नए नेतृत्व की संभावना बढ़ेगी।
चुनौतियाँ एवं विचार किये जाने योग्य बातें
हाँ, यह कानून बहुत सारे सुधार लेकर आया है, लेकिन उसके साथ कुछ चुनौतियाँ भी सामने हैं:
- क्रियान्वयन: अच्छा कानून बन जाना पर्याप्त नहीं है; उसे जमीन पर सही-सही लागू करना होगा।
- स्वायत्तता vs नियंत्रण: खेल-संगठन की स्वायत्तता और सरकारी नियंत्रण का संतुलन बनाना होगा। बहुत अधिक नियंत्रण से संघों की कार्य-स्वतंत्रता प्रभावित हो सकती है।
- संसाधन व क्षमता: नए ट्रिब्यूनल, बोर्ड, कमिटियाँ चलाने के लिए मानव-संसाधन, वित्तीय संसाधन चाहिए होंगे।
- अंतरराष्ट्रीय मानदंडों से मेल: इस कानून ने अंतरराष्ट्रीय खेल-संस्थाओं (IOC, IPC आदि) के साथ संगति बनाने की दिशा में कदम उठाया है, लेकिन पूरे खेल-क्षेत्र में उस अनुरूपता लाना एक क्रमबद्ध प्रक्रिया है।
- संस्कृति-परिवर्तन: परिवर्तन सिर्फ नियम में नहीं, बल्कि खेल-प्रशासन की संस्कृति में होगा। जिस में इमानदारी, जवाबदेही, सेवा की भावना आदि महत्वपूर्ण होंगे।
भविष्य की दिशा – संभावनाएँ और उम्मीदें
राष्ट्रीय खेल प्रशासन अधिनियम 2025 से उम्मीद है कि भारत का खेल ढांचा पूरी तरह बदल जाएगा।
इससे तीन बड़े सकारात्मक बदलाव सामने आ सकते हैं:
- खेलों का विकेंद्रीकरण: अब राज्यों और जिलों में भी पारदर्शिता की संस्कृति पहुँचेगी।
- प्रतिभा का विस्तार: खिलाड़ियों को समान अवसर मिलने से देश के हर कोने से नई प्रतिभाएँ उभरेंगी।
अंतरराष्ट्रीय सफलता: पारदर्शी प्रणाली और मजबूत प्रशासन से खिलाड़ियों को बेहतर तैयारी, समर्थन और आत्मविश्वास मिलेगा — जिससे ओलंपिक जैसे मंचों पर भारत का प्रदर्शन और शानदार होगा।
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निष्कर्ष
संक्षिप्त में कहें तो, NSGA 2025 भारत के खेल-प्रशासन में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। यह सिर्फ एक कानून नहीं,यह एक संकेत है कि हम खेल को गंभीरता से ले रहे हैं, खिलाड़ियों की भलाई, चयन-पारदर्शिता, संगठन-जवाबदेही को प्राथमिकता दे रहे हैं।
अगर यह कानून सफलतापूर्वक लागू हुआ तो हमें अनेक लाभ होंगे, नई प्रतिभाएँ निकलेंगी, न सिर्फ क्रिकेट बल्कि अन्य खेलों में भी उछाल आएगा, खिलाड़ियों को बेहतर माहौल मिलेगा, खेल-संगठन अधिक जवाबदेह एवं पेशेवर बनेंगे एवं भारत विश्व स्तर की प्रतियोगिताओं के लिए और तैयार होगा।
लेकिन याद रखें, कानून अपने आप चमत्कार नहीं लाता। इस के लिए प्रशासकों को, खिलाड़ियों को, खेल-प्रेमियों को, सरकार को सभी को मिल कर काम करना होगा ।
National Sports Governance Act 2025 Download PDF
FAQ’s
राष्ट्रीय खेल प्रशासन अधिनियम 2025 क्या है?
राष्ट्रीय खेल प्रशासन अधिनियम 2025 भारत सरकार द्वारा पारित एक नया कानून है, जिसका उद्देश्य खेल संगठनों में पारदर्शिता, जवाबदेही और निष्पक्षता लाना है। यह अधिनियम खिलाड़ियों के अधिकारों की रक्षा करता है और खेल प्रशासन को अधिक लोकतांत्रिक बनाता है।
इस कानून की आवश्यकता क्यों पड़ी?
लंबे समय से भारतीय खेल संघों में भ्रष्टाचार, पक्षपात और पारदर्शिता की कमी की शिकायतें थीं। खिलाड़ियों को न्याय पाने में वर्षों लग जाते थे। इन समस्याओं को दूर करने और खिलाड़ियों के हितों की रक्षा करने के लिए यह अधिनियम लाया गया।
राष्ट्रीय खेल न्यायाधिकरण (NST) क्या है?
NST यानी National Sports Tribunal एक स्वतंत्र संस्था है जो खेलों से जुड़े विवादों — जैसे चयन विवाद, संगठनात्मक मतभेद या अनुशासन संबंधी मामलों — का त्वरित समाधान करेगी। इससे खिलाड़ियों को अब न्याय पाने के लिए अदालतों के लंबे चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।
इस अधिनियम से खिलाड़ियों को क्या लाभ होगा?
खिलाड़ियों को निर्णय लेने की प्रक्रिया में प्रतिनिधित्व मिलेगा।
चयन और प्रमोशन में पारदर्शिता बढ़ेगी।
सुरक्षित और सम्मानजनक माहौल मिलेगा (Safe Sport Policy के तहत)।
किसी भी प्रकार के अन्याय या उत्पीड़न की शिकायत सीधे दर्ज की जा सकेगी।
खेल संगठनों पर इस कानून का क्या प्रभाव पड़ेगा?
अब सभी खेल संघों को पारदर्शी चुनाव, वित्तीय ऑडिट और खिलाड़ियों की भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी। जो संगठन इन नियमों का पालन नहीं करेंगे, उनकी सरकारी मान्यता और फंडिंग रद्द की जा सकती है।
Safe Sport Policy क्या है?
यह नीति खिलाड़ियों, खासकर महिला और नाबालिग एथलीटों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई है। इसके तहत हर संघ को शिकायत निवारण समिति, मानसिक स्वास्थ्य सहायता और उत्पीड़न-रोधी नियम लागू करने होंगे।
यह अधिनियम कब लागू हुआ?
राष्ट्रीय खेल प्रशासन अधिनियम 2025 को संसद से पारित होने के बाद 18 अगस्त 2025 को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिली और यह उसी वर्ष लागू हुआ।
क्या यह कानून सभी खेलों पर लागू होता है?
हाँ, यह अधिनियम सभी राष्ट्रीय और राज्य स्तर के खेल संगठनों, संघों और बोर्डों पर लागू होता है जिन्हें भारत सरकार या खेल मंत्रालय से मान्यता प्राप्त है।
क्या इस अधिनियम से ओलंपिक और अंतरराष्ट्रीय खेल संस्थाओं पर भी असर पड़ेगा?
यह कानून सीधे अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं पर लागू नहीं होता, लेकिन यह सुनिश्चित करता है कि भारतीय खेल संगठन अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप पारदर्शिता और जवाबदेही बनाए रखें।