भारत में खेल हमेशा से जुनून, सपनों और गर्व का प्रतीक रहे हैं। चाहे वो ओलंपिक में झंडा लहराते खिलाड़ी हों, या गाँव की गलियों में बैट-बॉल लेकर दौड़ते बच्चे। खेल हमारी आत्मा का हिस्सा हैं। लेकिन वर्षों से एक सच्चाई यह भी रही कि हमारे खेलों की संगठनात्मक व्यवस्था उतनी मजबूत नहीं थी जितनी होनी चाहिए थी।
ऐसे समय में यह कानून National Sports Governance Act 2025 अस्तित्व में आया है। NSGA 2025 के तहत खेल संगठनों के संचालन के लिए एक ठोस कानूनी ढांचा दिया गया है, जिसमें बेहतर शासन (governance), एथिक्स (ethics), खिलाड़ी-कल्याण (athlete welfare), विवाद निपटान (dispute resolution) आदि शामिल हैं।
यह कानून 18 अगस्त 2025 को राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त कर राष्ट्रीय कानून बन गया।
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खेल-संगठनों में लंबे समय से निम्नलिखित समस्याएँ रही हैं:
इनमें सुधार के लिए NSGA 2025 को ‘गेम-चेंजर’ माना गया है।
नीचे मुख्य प्रावधानों का सार दिया जा रहा है:
मान्यता-प्राधिकरण (Recognition & Regulation)
कानून के तहत एक नया प्राधिकरण बनेगा: National Sports Board (NSB) जिसे खेल मंत्रालय द्वारा स्थापित किया जाएगा। इसके का कार्य राष्ट्रीय खेल फेडरेशन (NSFs) को मान्यता देना/रद्द करना, उनके कार्य-प्रणाली पर निगरानी रखना हैं। संघ/फेडरेशन को सरकारी फंडिंग, विभिन्न सुविधाएँ तभी मिलेंगी जब उन्हें NSB द्वारा मान्यता प्राप्त होगी।
महिला खिलाड़ियों और युवा एथलीटों की सुरक्षा पर अब विशेष ध्यान दिया गया है। हर संगठन को “Safe Sport Policy” लागू करनी होगी। जिसके तहत उत्पीड़न-रोधी समितियाँ, मानसिक स्वास्थ्य सहायता और शिकायत निवारण प्रणाली अनिवार्य होगी। जिसमें महिला खिलाड़ियों, नाबालिगों व कम-सशक्त खिलाड़ियों की सुरक्षा, उत्पीड़न-रोधी उपाय आदि शामिल हैं।
खिलाड़ियों के लिए
प्रशासकों, फेडरेशन के लिए
हाँ, यह कानून बहुत सारे सुधार लेकर आया है, लेकिन उसके साथ कुछ चुनौतियाँ भी सामने हैं:
राष्ट्रीय खेल प्रशासन अधिनियम 2025 से उम्मीद है कि भारत का खेल ढांचा पूरी तरह बदल जाएगा।
इससे तीन बड़े सकारात्मक बदलाव सामने आ सकते हैं:
अंतरराष्ट्रीय सफलता: पारदर्शी प्रणाली और मजबूत प्रशासन से खिलाड़ियों को बेहतर तैयारी, समर्थन और आत्मविश्वास मिलेगा — जिससे ओलंपिक जैसे मंचों पर भारत का प्रदर्शन और शानदार होगा।
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संक्षिप्त में कहें तो, NSGA 2025 भारत के खेल-प्रशासन में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। यह सिर्फ एक कानून नहीं,यह एक संकेत है कि हम खेल को गंभीरता से ले रहे हैं, खिलाड़ियों की भलाई, चयन-पारदर्शिता, संगठन-जवाबदेही को प्राथमिकता दे रहे हैं।
अगर यह कानून सफलतापूर्वक लागू हुआ तो हमें अनेक लाभ होंगे, नई प्रतिभाएँ निकलेंगी, न सिर्फ क्रिकेट बल्कि अन्य खेलों में भी उछाल आएगा, खिलाड़ियों को बेहतर माहौल मिलेगा, खेल-संगठन अधिक जवाबदेह एवं पेशेवर बनेंगे एवं भारत विश्व स्तर की प्रतियोगिताओं के लिए और तैयार होगा।
लेकिन याद रखें, कानून अपने आप चमत्कार नहीं लाता। इस के लिए प्रशासकों को, खिलाड़ियों को, खेल-प्रेमियों को, सरकार को सभी को मिल कर काम करना होगा ।
राष्ट्रीय खेल प्रशासन अधिनियम 2025 भारत सरकार द्वारा पारित एक नया कानून है, जिसका उद्देश्य खेल संगठनों में पारदर्शिता, जवाबदेही और निष्पक्षता लाना है। यह अधिनियम खिलाड़ियों के अधिकारों की रक्षा करता है और खेल प्रशासन को अधिक लोकतांत्रिक बनाता है।
लंबे समय से भारतीय खेल संघों में भ्रष्टाचार, पक्षपात और पारदर्शिता की कमी की शिकायतें थीं। खिलाड़ियों को न्याय पाने में वर्षों लग जाते थे। इन समस्याओं को दूर करने और खिलाड़ियों के हितों की रक्षा करने के लिए यह अधिनियम लाया गया।
NST यानी National Sports Tribunal एक स्वतंत्र संस्था है जो खेलों से जुड़े विवादों — जैसे चयन विवाद, संगठनात्मक मतभेद या अनुशासन संबंधी मामलों — का त्वरित समाधान करेगी। इससे खिलाड़ियों को अब न्याय पाने के लिए अदालतों के लंबे चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।
खिलाड़ियों को निर्णय लेने की प्रक्रिया में प्रतिनिधित्व मिलेगा।
चयन और प्रमोशन में पारदर्शिता बढ़ेगी।
सुरक्षित और सम्मानजनक माहौल मिलेगा (Safe Sport Policy के तहत)।
किसी भी प्रकार के अन्याय या उत्पीड़न की शिकायत सीधे दर्ज की जा सकेगी।
अब सभी खेल संघों को पारदर्शी चुनाव, वित्तीय ऑडिट और खिलाड़ियों की भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी। जो संगठन इन नियमों का पालन नहीं करेंगे, उनकी सरकारी मान्यता और फंडिंग रद्द की जा सकती है।
यह नीति खिलाड़ियों, खासकर महिला और नाबालिग एथलीटों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई है। इसके तहत हर संघ को शिकायत निवारण समिति, मानसिक स्वास्थ्य सहायता और उत्पीड़न-रोधी नियम लागू करने होंगे।
राष्ट्रीय खेल प्रशासन अधिनियम 2025 को संसद से पारित होने के बाद 18 अगस्त 2025 को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिली और यह उसी वर्ष लागू हुआ।
हाँ, यह अधिनियम सभी राष्ट्रीय और राज्य स्तर के खेल संगठनों, संघों और बोर्डों पर लागू होता है जिन्हें भारत सरकार या खेल मंत्रालय से मान्यता प्राप्त है।
यह कानून सीधे अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं पर लागू नहीं होता, लेकिन यह सुनिश्चित करता है कि भारतीय खेल संगठन अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप पारदर्शिता और जवाबदेही बनाए रखें।